GSTR-3B एक स्व-घोषणा रिटर्न है जिसे हर GST पंजीकृत करदाता को भरना होता है। इसमें आप अपनी आउटवर्ड सप्लाई, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) और टैक्स भुगतान की जानकारी देते हैं। यह एक सारांश रिटर्न है और GST अनुपालन की रीढ़ मानी जाती है।
आपके टर्नओवर के आधार पर, आप GSTR-3B मासिक या त्रैमासिक (QRMP योजना के तहत – Quarterly Return, Monthly Payment) फाइल कर सकते हैं। लेकिन कौन सा विकल्प आपके लिए सही है? आइए इसे आसान शब्दों में समझते हैं।
मासिक फाइलिंग:
पिछले वित्त वर्ष में ₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले करदाताओं के लिए अनिवार्य।
अन्य करदाता चाहें तो स्वेच्छा से मासिक फाइलिंग कर सकते हैं।
त्रैमासिक फाइलिंग (QRMP):
पिछले वित्त वर्ष में ₹5 करोड़ तक का टर्नओवर वाले करदाता चुन सकते हैं।
टैक्स हर महीने जमा करना होता है, लेकिन रिटर्न केवल तिमाही में एक बार फाइल करना होता है।
फायदे:
ITC प्रवाह सुचारू रहता है – सप्लायर/कस्टमर को इनवॉइस जल्दी दिखते हैं।
GST सिस्टम में बेहतर अनुपालन रेटिंग।
अंतिम समय की त्रैमासिक भीड़ से बचाव।
नुकसान:
अधिक बार अनुपालन का बोझ (साल में 12 बार रिटर्न)।
कंसल्टेंट्स पर निर्भर होने पर लागत अधिक।
छोटे व्यवसायों के लिए समय लेने वाला।
फायदे:
रिटर्न फाइलिंग की आवृत्ति कम (साल में केवल 4 बार)।
छोटे व्यवसायों के लिए आसान और किफायती।
IFF (Invoice Furnishing Facility) से मासिक इनवॉइस अपलोड करने की लचीलापन।
नुकसान:
यदि IFF का उपयोग नहीं किया तो खरीदारों को ITC देखने में देरी।
टैक्स हर महीने जमा करना ही होगा, इसलिए अनुपालन पूरी तरह कम नहीं होता।
यदि मासिक भुगतान में देरी हुई तो ब्याज का अधिक जोखिम।
चाहे मासिक हो या त्रैमासिक, देर से GSTR-3B फाइल करने पर पेनाल्टी लगती है:
लेट फीस: ₹50 प्रतिदिन (निल रिटर्न पर ₹20 प्रतिदिन), अधिकतम ₹5,000 तक।
ब्याज: 18% प्रति वर्ष बकाया टैक्स पर, देय तिथि से भुगतान तिथि तक।
मासिक फाइलिंग ऐसे है जैसे आप हर महीने मोबाइल बिल भरते हैं – सब कुछ अपडेट रहता है लेकिन नियमित मेहनत चाहिए।
त्रैमासिक फाइलिंग ऐसे है जैसे आप तीन-तीन महीने पर बिल भरते हैं – कम बार, लेकिन हर महीने बैलेंस रिचार्ज (टैक्स पेमेंट) करना ही होगा।
| विशेषता | मासिक फाइलिंग | त्रैमासिक फाइलिंग (QRMP) |
|---|---|---|
| कौन चुन सकता है | ₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर – अनिवार्य, अन्य के लिए विकल्प | ₹5 करोड़ तक टर्नओवर – विकल्प |
| रिटर्न फ्रीक्वेंसी | साल में 12 बार | साल में 4 बार |
| टैक्स भुगतान | मासिक | मासिक (चालान द्वारा) |
| इनवॉइस अपलोड | हर महीने | IFF से मासिक वैकल्पिक, अन्यथा तिमाही |
| उपयुक्त किसके लिए | बड़े व्यवसाय, निर्यातक, रेगुलर सप्लायर | MSME/छोटे व्यवसाय |
| अनुपालन भार | अधिक | मध्यम |
| लेट फीस/ब्याज | समान | समान |
बड़े व्यवसाय (₹5 करोड़ से अधिक टर्नओवर): मासिक फाइलिंग अनिवार्य।
छोटे व्यवसाय (₹5 करोड़ तक): QRMP योजना चुनकर अनुपालन बोझ कम कर सकते हैं, लेकिन टैक्स हर महीने भरना ही होगा।
निर्णय आपके व्यवसाय का आकार, लेन-देन की संख्या और अनुपालन सुविधा पर निर्भर करता है।
👉 Team TAXAJ की सलाह: यदि आपके अधिकतर ग्राहक B2B हैं और उन्हें नियमित ITC चाहिए, तो मासिक फाइलिंग बेहतर है। यदि आपका काम ज्यादातर B2C है और कम इनवॉइस हैं, तो त्रैमासिक फाइलिंग से अनुपालन बोझ कम हो सकता है।